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"दिल से शायर, पेशे से सॉफ्टवेर इंजीनियर और संयोग से फोटोग्राफर" कुछ इस तरह खुद को परिभाषित करता हूँ। नाम पीयूष है और तख़ल्लुस रखता हूँ: 'प्यार'। कोशिश रही है कि रचनाओं में पीयूष का 'प्यार' और प्यार का 'पीयूष': दोनों झलकें। बहुत उम्दा तो नहीं लिखता पर उम्मीद है पाठकगण, कि आपका मनोरंजन कर सकता हूँ। अभियक्ति कुछ ऐसी है कि खुद को शृंगार रस का कवि कहता हूँ।
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