विनीता जी की कविता पढ़ना- सुनना वाग्देवी की मानस-पुत्री से रूबरू होना है।सारस्वत यज्ञ है उनका काव्य-सृजन, जिसमें स्वर-समिधाएँ आनंद की दिव्य-गंध का प्रसारण करती हैं।
एक विशेषता का उल्लेख करना आवश्यक हैजो हमारी प्राचीन काव्य-विधा की अनिवार्य शर्त है।काव्य का गेय होना, कविता का गीति-तत्व हमें प्राचीनतम ग्रंथ ऋग्वेद से जोड़ता है।वेद में जिस आदिम छन्द का सर्वाधिक प्रयोग है, उसे 'गायत्र’ कहा गया है-उक्त संहिता के अष्टम मंडल को गेयहोने के कारण ही द्रष्टा ऋषि ने प्रगाध मंडल की संज्ञा दी है।